मन की कोठर से... by
ओंकार नाथ त्रिपाठी
किताब के बारे में...
मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है। इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है 'मन की कोठर से....'। मेरी रचनाओं का भाव अगर किसी चरित्र जैसा लगता है तब यह एक संयोग मात्र है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
https://hindi.shabd.in/man-ki-kothar-se-onkar-nath-tripathi/book/10080892
https://shabd.in/
ओंकार नाथ त्रिपाठी
किताब के बारे में...
मन के अन्दर तरह तरह के उद्गार उठते रहते हैं जो कि मनुष्य के मन की स्वभाविक प्रक्रिया है। इन्हीं उद्गारों के शब्दों को संवेदनाओं के साथ सजाकर उन्हें काव्य के रुप में सहेज का प्रयास है 'मन की कोठर से....'। मेरी रचनाओं का भाव अगर किसी चरित्र जैसा लगता है तब यह एक संयोग मात्र है।
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